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आरक्षण:- एक समस्या

सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
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अगर इस देश का कोई आज सबसे बडा र्दुभाग्य है तो वो है आरक्षण।
जिस समय इसको लागू किया गया था उस समय शायद इसकी जरुरत हो लेकिन आज ये जबरदस्ती हम पर लादा जा रहा है। मजे की बात तो ये है जिन गरीब लोगोँ के लिये ये लागू किया गया था वे बिचारे इसका लाभ न ले सके , लाभ तो मिला लेकिन मायावती मुलायम जैसे देश को गद्दारोँ कोँ।
जिन अम्बेडकर साहब ने इसको जोर देकर लागू किया था। वे शायद अपने द्वारा ही लिखे गये संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक के भाग को भूल गये जिसमेँ समानता का अधिकार वर्णित है।
क्या ये आरक्षण समानता का अधिकार का विरोधाभास नही है। चलो अम्बेडकर ने इसका विरोध होते देख कह दिया था कि कुछ समय पश्चात इसको खत्म कर दिया जायेगा। लेकिन इन्दिरा ने अपने शासन काल मे संविधान मे संशोधन कर इसको अनिवार्य कर दिया है।
अम्बेडकर ने तो ईर्ष्यावश होकर ऐसा किया था। और इन्दिरा ने वोट बैँक के लिये।
कुछ लोग तर्क देते हैँ कि आरक्षण उस वक्त की जरुरत थी। चलिये मान लेते हैँ कि आरक्षण वक्त की जरुरत थी, तो फिर इसे जातिगत के बजाय आयगत भी लागू किया जा सकता था।
अगर इसको आयगत लागू किया गया होता तो ये समानता के अधिकार का भी समर्थन करता और जातिप्रथा को भी कम करता लेकिन जातिगत आरक्षण लागू करके जातिप्रथा को और बढावा दिया गया।
क्या किसी जाति के स्तय को उठाने के लिये आरक्षण की बैशाखी पकडाना ठीक था। बैशाखी देकर आदमी को अपाहिज बनाया जा सकता है। उसको पैर नही दिये जा सकते। अगर उनका उत्साह और साहस दिया गया होता तो शायद स्थिति कुछ और होती।
वास्तवाक रुप मे जिसको आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये था उसको तो नही मिला हाँ लेकिन आरक्षण के नाम पर राजनीति खूब हुयी।
आज कुछ राजनीतिक दल दलितोँ के साथ होने का दावा करते फिरते हैँ लेकिन इन्हे ये भी पता है दलित कौन हैँ। दलित शब्द की परिभाषा क्या है।
मैँ उन लोँगो से पूँछना चाहता हूँ जिनकी जाति आरक्षण की जद मे आती है क्या वास्तविक रुप मेँ उन लोगोँ को इसका लाभ मिल पाया है जिनको लाभ मिलना चाहिये था। शायद नही।
ये आरक्षण योग्यता और क्षमता का सर्वनाश कर रहा है जिनको इस देश के उच्च पदोँ पर होना चाहिये वे मजदूरी कर रहे हैँ और जो चपरासी के लायक भी नही वे आरक्षण के सहारे उच्च पदोँ पर काबिज होकर देश का बंटाढार कर रहे हैँ।
अगर जल्द ही इसे खत्म न किया गया तो ये देश को खोखला और अपाहिज बना देगा।
जै हिन्द जै भारत !

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