Menu
blogid : 4280 postid : 581792

भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।

सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
  • 27 Posts
  • 130 Comments

भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।
छोडकर भूखोँ की बस्ती अब इसे हटना पडेगा॥
कर ली इसने मौज जितनी कर सका ये,
त्याग कर सब काम-धन्धे अब इसे जाना पडेगा।
भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।
खा गया ये देश इतना जितना गोरे खा न पाये।
आ गया अब वक्त इसका अब इसे मिटना पडेगा।
भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।
बहुत खा लिया बहुत पी लिया, अब तुम्हे भूखोँ मरना पडेगा।
चंद नेता और अफसर हैँ तुम्हारे, क्रांति के प्रकाश से कोई भी बच न पायेगा॥
भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।
जाग पाये लोग कुछ ही अब सभी को जगना पडेगा।
लेके दीपक क्रान्ति का साथ सबको चलना पडेगा।
भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।
हे! मेरे भारत के वासी त्यागकर अब ऊँच-नीच,
हे! मेरे सब धर्म बन्धु त्याक कर करके जाति-धर्म।
देश को एक नये मार्ग पर लेकर जाना ही पडेगा॥
भ्रष्टाचार के तिमिर को हिन्द से मिटना पडेगा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh