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भारत और बांग्लादेश के बीच जो 22 समझौते हुए हैं वो सभी ऐतिहासिक समझौते हैं जो पिछले 41 साल से अटके हुए थे इन समझौतों से न सिर्फ बांग्लादेश को लाभ हुआ है बल्कि भारत को बहुत फायदा पहुंचा हैं | और इन सब बातों से इतर एक और महत्वपूर्ण काम हुआ हुआ | उन ५००००० के लगभग लोंगो को नागरिकता मिल गई जिन्हें न तो भारत अपना मानता था और न ही बांग्लादेश | जहाँ एक ओर उन लोंगो को नागरिकता मिल गई वहीँ दूसरी ओर सीमा निर्धारित हो जाने के कारन अब घुसपैठ में भी काफी हद तक कमी आएगी |
वास्तव में यह एक बड़ी उपलब्धि है कि जिस पडोसी देश से हमारी सबसे लम्बी सीमा रेखा लगती है कम से कम उससे अब सीमा विवाद जैसा कोई मामला तो नहीं रहा | इससे भारत के पूवोत्तर राज्यों को बहुत बड़ा लाभ होने वाला है इसका असर हमें तुरंत भले ही न दिखाई पड़े लेकिन एन समझौतों के दूरगामी परिणाम आने वाले हैं |
भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी का बाग्लादेश दौरे का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के मध्य बेहतर संबंध स्थापित करना था और हमारे प्रधानमंत्री जी इसमे खरे उतारे हैं लेकिन इसका जितना श्रेय वर्तमान प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जाता है उतना ही श्रेय हमें भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी देना होगा क्योंकि क्योंकि इसकी प्रष्ठभूमि मनमोहन सरकार ने २०११ में ही तैयार कर ली थी लेकिन अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मनमोहन सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया था | लेकिन ममता बनर्जी को एस वार्ता में शामिल कर मोदी ने न सिर्फ एस दौरे को सफल बनाया बल्कि एक दूरगामी मिसाल भी स्थापित की सम्बंधित राज्य को विश्वास में लेकर काम करने की |
प्रधानमंत्री मोदी की ढाका यात्रा कुछ मायनों में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई है खालिदा जिया के दो कार्यकालों में भारत और बंग्लादेश के भीच जो दूरियां बढ़ गई थी इस दौरे से वो दूरियां कम हुई हैं
भौगोलिक द्रष्टि से देखें तो बांग्लादेश भारत से पूरी तरह से भारत से घिरा हुआ है | साढ़े चार हजार किमी की जमीनी सीमा में से महज २५०-३०० किमी सीमा को छोड़कर पूरी सीमा भारत से जुडी हुई है |
पूर्वोत्तर राज्यों को कोलकाता बंदरगाह तक पहुँचने के लिए सिलीगुड़ी गलियारे होकर जाना पड़ता था जो बहुत लम्बा और कठिन था | अगरतला और कोलकाता के बीच की डेढ़ हजार किमी की दूरी वाया चटगांव होकर महज २००-२५० किमी में सिमट जायेगी | जिससे जहाँ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यों के विकास का रास्ता खुल जायेगा वहीं बाग्लादेश की भी तमाम जरूरतें पूरी होगी |
इस सम्बन्ध बहाली के लिए बाग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी बधाई की पात्र है जिन्होंने बांग्लादेश की धरती पर भारत विरोधी अभियानों को न पनपने देकर भारत के साथ सम्बन्ध बहाली का रास्ता तैयार किया |
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